ममता की ऐसी मूरत पर मैं अपना शीश नवाऊँ आशा की तितली बन जाऊं ममता की ऐसी मूरत पर मैं अपना शीश नवाऊँ आशा की तितली बन जाऊं
दिल की दलदली ज़मीन के भीतर पड़े एहसासों को मिलता है अनुभूतियों का आवेग दिल की दलदली ज़मीन के भीतर पड़े एहसासों को मिलता है अनुभूतियों का आवेग
वह तो लौटना चाहती है मिलना, घुलना चाहती है उस गुलाबी मध्यमा आकाश में रात को चीरती हुई अलहभोर में... वह तो लौटना चाहती है मिलना, घुलना चाहती है उस गुलाबी मध्यमा आकाश में रात को ...
कभी कभी जब दुखी हो जाता है देखकर अहम् की लड़ाई को....... कभी कभी जब दुखी हो जाता है देखकर अहम् की लड़ाई को.......
जो कल से नहीं सीख पाए आज तक, तो क्या उनके लिए बड़बड़ाना ज़रूरी है। जो कल से नहीं सीख पाए आज तक, तो क्या उनके लिए बड़बड़ाना ज़रूरी है।
अपने विश्वास की लौ इस मिट्टी पर जलाए रखना तब तक। अपने विश्वास की लौ इस मिट्टी पर जलाए रखना तब तक।